धारयति इति धर्म:। अर्थात् जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है। कांग्रेस पार्टी के पूर्व महासचिव के अनुसार छान्दोग्योपनिषद और महाभारत के रचयिता वेदव्यास धर्म को लेकर यही कहते हैं।
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