सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किशोरों को वयस्क जेलों में रखना उन्हें उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करने के समान है और कोई आरोपी किशोर है या नहीं- यह तय करने में अति-तकनीकी दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए।
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