Wednesday, December 9, 2020

मंगलेश डबराल की डायरी: हम अपनी कविता के रसोईघर को ही कविता मान लेते हैं

कविता में कभी अच्छा मनुष्य दिख जाता है या कभी अच्छे मनुष्य में कविता दिख जाती है। कभी-कभी एक के भीतर दोनों ही दिख जाते हैं।

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