लाखों रोजगार और तमाम सुविधाओं के वादों के बीच लाखों लोग ऐसे हैं जो अपनी पूरी ज़िंदगी सड़कों पर ही गुजार देते हैं। रोज की आमदनी का ठिकाना न होने से तीज-त्योहार पर आमदनी का इंतजार रहता है।
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