अपने ही गणतंत्र में... तीस साल से विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडित उस काली रात को याद कर आज भी सिहर उठते हैं। धरती के स्वर्ग में चमन के उजड़ने की कहानी बयां करते आंखें बरबस ही छलक जाती हैं।
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